मिस्टर टीचर, एक शांत और सिद्धांतों पर चलने वाले स्कूल शिक्षक हैं। वह अपने इकलौते बेटे को एक दर्दनाक सड़क हादसे में खो देने के बाद टूट चुके हैं। उसी दिन, उसी दुर्घटनास्थल पर, उन्हें एक और घायल लड़का मिलता है—छोटा, बेसहारा, बेहोश और बिना किसी पहचान के। आसपास मौजूद लोग नजरअंदाज कर आगे बढ़ जाते हैं, लेकिन मिस्टर टीचर रुकते हैं... और मदद का हाथ बढ़ाते हैं। जैसे-जैसे वह उस बच्चे की देखभाल करते हैं, उन्हें पता चलता है कि यह बच्चा एक बड़ी साज़िश का शिकार है—एक मानव तस्करी गिरोह की चपेट में आया मासूम। जो शुरुआत महज एक करुणा भरे कदम से हुई थी, अब एक न्याय की लड़ाई में बदल चुकी है। यह कहानी एक ऐसे व्यक्ति की है जो "खून का रिश्ता" नहीं, बल्कि "इंसानियत का फर्ज़" निभाता है।